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E-ISSN: 2229-7677
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Volume 16 Issue 3
July-September 2025
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INDIAN SOCIETY AND WOMEN DEVELOPMENT
Author(s) | Dr. RANJANA CHHAGANBHAI DHOLAKIA |
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Country | India |
Abstract | सारांश : भारत के विकास में महिलाओं की समान भागीदारी की आवश्यकता को एक लंबे अरसे से महसूस किया जा रहा है। समानता का आधार आर्थिक हो या सामाजिक, इस पर बहस निरंतर जारी है। गहराई से देखने पर ही इस बात को समझा जा सकता है कि देश को समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं को दोनों ही स्तरों पर भेदभाव से मुक्त करना होगा। समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। सामाजिक , राजनीतिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र ऐसे हैं जहां महिलाओं को अक्सर उनके पदों पर स्वीकार किया जाता है। जब उन्हें इन क्षेत्रों में भाग लेने की आवश्यकता होती है , तो उनके पास प्रभावी प्रतिभा और क्षमताएं होनी चाहिए जो उन्हें ऐसा प्रभावी ढंग से करने की अनुमति दें। महिलाओं को अपने कौशल और प्रतिभा के अलावा अपनी भागीदारी को प्रभावित करने वाले चरों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। अपने कार्यों को करते समय आने वाली बाधाओं को दूर करने की क्षमता भी इन तत्वों के ज्ञान से ही संभव होती है। जब महिलाएं कई तरह की जिम्मेदारियां निभाती हैं , तो उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने परिवारों और समुदायों के कल्याण को बढ़ावा देने में सफलतापूर्वक योगदान दें। भारत में महिलाओं की स्थिति को भेदभाव से मुक्त करने का बीड़ा सबसे पहले राजा राममोहन राय ने उठाया था। समाज में महिलाओं की भूमिका को पहचानने का दूसरा अवसर तब आया,जब गांधीजी ने स्व्तंत्रता आंदोलन को ‘एक टांग पर खड़ा’ बताया था। सन् 1947 में महिलाओं को मत का समानाधिकार देकर उनके महत्व को स्थापित किया गया। इसके बाद 2014 में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से महिलाओं को शक्तिसंपन्न करने का काम शुरू हुआ। इसका अगला कदम पुरूषों की मानसिकता को बदलने, तीन तलाक, अधिक रोजगार, अधिक महिलाओं को स्वउद्यमी बनाने, स्कूलों में लड़कियों की भर्ती को बढ़ाने पर काम करने के मार्ग से होकर भारत की समृद्धि के द्वारा खोलेगा। |
Keywords | मूखय शब्दों : महिला विकास , सशक्तिकरण, , लैंगिक पक्षपात, अधिकार |
Field | Sociology > Politics |
Published In | Volume 16, Issue 3, July-September 2025 |
Published On | 2025-07-10 |
DOI | https://doi.org/10.71097/IJSAT.v16.i3.6918 |
Short DOI | https://doi.org/g9sx5h |
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